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वधू ​चाहिए 

नलिन ​ओम 

उनकी कई महिलाओं से फ़ोन पे बात हुई। विज्ञापन में सब कुछ दिया हुआ था पर कुछ थी जो अमेरिका जाने के नाम से ही घबरा गयीं, कईयों  को यह पता ही नहीं था कि वो भारतीय नहीं ऑस्ट्रेलियन हैं, कुछ मिस्टर स्मिथ को पसंद नहीं आईं, पर कुछ थीं जो उन्हें पसंद भी आई और जिन्होंने उन्हें पसंद भी किया। उन्हें विदेश में बसने में कोई भी हर्ज़ा नहीं था। लगभग पंद्रह दिन ये खोज चली। दो लड़कियों से उनकी बात आगे बढ़ी। इन महिलाओं से मैं, माला और मिस्टर स्मिथ व्यक्तिगत मिलने गए या उन्हें आमंत्रित किया।

मिस्टर स्मिथ अब मेरे अभिन्न मित्र बन चुके थे और मैं उनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित था। उनका बात करने का तरीका, उनका आचरण, उनका भारतीय संस्कृति, साहित्य, वनस्पति और बॉलीवुड का ज्ञान और उनका सौम्य और शीतल स्वभाव, मुझे बहुत पसंद आया। मैं अपने मित्र के अकेलेपन और व्यथा को दूर करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा था। मिस्टर स्मिथ यह देख रहे थे। उन्होंने सैकड़ों बार मुझे “आपका शुक्रिया” कहा होगा। 

सबसे पहले हम सुमन नाम की छियालीस वर्षीय महिला से मिलने अल्मोड़ा में उनके घर गए। वह अकेले रहतीं थीं। पिता नहीं थे और उनकी माँ पास ही के हल्द्वानी शहर में उनकी बड़ी बहन के परिवार के संग रहती थी। सुमन पेशे से आर्टिस्ट थी और उन्होंने बताया कि उन्होंने हरिद्वार में कई जगह, और दिल्ली के कुछ मेट्रो स्टेशनों में आरेखण और रंगाई का काम किया है।

माला और मैं बाहर लॉन में चले गए और सुमन और मिस्टर स्मिथ को हमने अकेला छोड़ दिया। कुछ समय बाद वे बाहर आये और हम गाड़ी में बैठ  रवाना हुए।

“मुझे ये लड़की पसंद नहीं आई।“

माला ने पूछा, “पर क्यों मिस्टर स्मिथ?”

मिस्टर स्मिथ बात सरका दिए।

दूसरी महिला को सपरिवार हमने अगले दिन रिसोर्ट में ही  आमंत्रित किया। वह कुमाऊँ विश्वविद्यालय में इंग्लिश की सहायक प्राध्यापक थी। नाम था ऐश्वर्या। उम्र इकतालीस वर्ष।

नमस्ते-हेलो की औपचारिकता के बाद हमने मिस्टर स्मिथ को ऐश्वर्या के साथ अकेला छोड़ दिया।

मिस्टर स्मिथ पूछ रहे थे,”तो आपने अभी तक शादी क्यों नहीं करी?”

ऐश्वर्या का जवाब आया, “मैं ये ही सोचती रही कि जब मेरी जिंदगी में थोड़ी स्थिरता आएगी तब शादी के विषय में सोचूंगी। पर रोज़ कुछ न कुछ हो जाता था और मेरी उम्र यूँ ही बढ़ती चली गयी।“

“तो अब क्या स्थिरता आ गयी है?”

“नहीं मुझे ये समझ आ गया है कि जिस तरह की स्थिरता मैं सोच रही हूँ वो कभी न आएगी। कुछ न कुछ जीवन में घटित होता रहेगा।“

मिस्टर स्मिथ ने कहा,”कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी रहा है। काम में इतना व्यस्त था कि  शादी का ख्याल ही नहीं आया।"

“काम में व्यस्त थे कि कामना में?” ऐश्वर्या ने चुटकी ली।

मिस्टर स्मिथ हँस दिए,”कह सकते हैं दोनों में व्यस्त था।"

उनकी लगभग पौन घंटे तक बात चलती रही और फिर दोनों ने एक-दूसरे से विदा लिया।

मैंने मौका लगते ही पूछा,”कैसी लगी लड़की आपको ?”

“जी मुझे पसंद तो आई पर वो अपनी नौकरी छोड़ने को राज़ी नहीं है। वह उल्टा मुझे मेरी नौकरी छोड़ने के लिए कहने लगी। दूसरा जब मैंने उसे गौर से समझा तो मैं उसमे वो नारीत्व भाव नहीं देख पाया जिसकी मुझे तलाश है।” यह कहकर वो चुप हो गए।

दो लड़कियाँ जिन्हे मिस्टर स्मिथ ने पसंद किया था उन दोनों को ही हमने देख लिया था। मैं अब उम्मीद हार रहा था। पर फिर अवनि का प्रवेश हुआ।

अवनि हमारे रिसोर्ट में मेहमान थी और वह दो दिन पहले ही यहाँ आई थी। उसने मिस्टर स्मिथ को महिलाओं से मिलते हुए देखा होगा या कुछ कहीं सुन लिया होगा तो उन्होंने माला से मिस्टर स्मिथ के बारे में पूछा। ये कौन हैं? कहाँ से आये हैं? आदि। माला ने बताया, ”मिस्टर स्मिथ ऑस्ट्रेलियन हैं, हार्वर्ड में हिंदी पढ़ाते हैं। उनकी शादी नहीं हुई है और वो अपने लिए लड़की ढूंढ रहे हैं।”

“इनकी उम्र क्या होगी?” अवनि ने माला से पुछा।

“मेरे हिसाब से मिस्टर स्मिथ बावन साल के हैं।"

अवनि खुद चौंतीस साल की सिंगल महिला थी। वह दिल्ली में एक कंपनी में कॉर्पोरेट पेशेवर थी। दिखने में अत्यंत सुन्दर, और बात से बेहद सभ्य और सुशील अवनि काफ़ी  धीमे बोलती थी। उसकी आवाज़ जैसे कोयल के कंठ से उत्पन्न हो।

अवनि विधवा थी। उसके  पति फ़ौज  में थे और पाँच वर्ष पूर्व उनका बॉर्डर पे एक आतंकवादी हमले में निधन हो गया। सास -ससुर भी चल बसे तो अवनि अपनी माता के साथ ही रहने लगी।”

मिस्टर स्मिथ को देखते ही अवनि को एक तीव्र आकर्षण का आभास हुआ। मैंने अवनि की आँखों में मिस्टर स्मिथ के प्रति प्रेम और सद्भावना देखी। उसके दिल की हलचल को मैं महसूस कर पा रहा था, तो मैंने दोनों का परिचय करवाया।

“अवनि जी ये है मिस्टर जैक स्मिथ। मिस्टर स्मिथ ये हैं अवनि भट्ट।”

अवनि ने मिस्टर स्मिथ की ओर मुड़कर उनसे पूछा, “नमस्ते ,कैसे हैं आप ?”

“जी मैं बढ़िया हूँ। आप कैसी हैं ?“

दोनों के बीच वार्तालाप होने लगी।

मिस्टर स्मिथ यह जानके बहुत खुश थे कि अवनि एक गैर सरकारी संगठन में बच्चों की नशा-मुक्ति में  भी वालंटियर करती हैं।

“मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं।” अवनि ने कहा।

मिस्टर स्मिथ ने कहा,”मुझे पहले नहीं थे, पर अब मुझे भी बच्चे पसंद हैं।”

“जैसा की मुझे सुनने में आया है हिंदी आपका पहला प्रेम है, है न?”

“जी पहला ज़रूर  है मगर आखरी नहीं।”

“और किससे प्रेम करते हैं आप?”

मिस्टर स्मिथ हँसते हुए बोले, “जी आपके इस सवाल का मेरे पास जवाब नहीं है।”

मैं चुप-चाप दोनों को देख रहा था। मिले हुए कुछ मिनट हुए थे, पर मैं हैरान था कि वो इतनी जल्दी घुल-मिल गए। दोनों की आँखें एक-दूसरे से टकराईं, एक पल के लिए सब थम सा गया। फिर दोनों मुस्कुराये और फ़िर  से बात करने लगे।

देखते-ही-देखते कुछ ही दिनों में वे एक दूसरे के बेहद करीबी मित्र बन गए। रिसोर्ट में दोनों एक साथ ही देखे जाते रहे।

मिस्टर स्मिथ ने कहा, “कबीर जी अवनि ही वो लड़की है जिससे मैं शादी करूँगा। वो बहुत अच्छी  है। उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती हैं, बस जाने से पहले उनका आशीर्वाद मिल जाये।” मिस्टर स्मिथ को अगले हफ़्ते  अमेरिका वापस लौटना था।

यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैं बोला, “मिस्टर स्मिथ उसकी चिंता आप मत करें। हम साथ जाएंगे और सब संभाल लेंगे।”

माला और मैं मिस्टर स्मिथ को लेकर अवनि के घर दिल्ली पहुंचे। वहाँ अवनि ने बता दिया था कि हम आने वाले हैं।

“नमस्ते माता जी।” मिस्टर स्मिथ ने कहा।

 माताजी बोलीं, “खुश रहो। मुझे अवनि ने तुम्हारे बारे में सब बताया है। तुम बड़े विश्वविद्यालय में हिंदी के शिक्षक हो। पर तुम बावन साल के हो। तुमने शादी क्यूँ नहीं करी अभी तक?”

“बस माताजी पूरी जिंदगी काम में व्यस्त रहा। अब अक्ल आ रही है।” मिस्टर स्मिथ ने मुस्कुराते हुए कहा।

“तुम्हें तो विदेश में एक-से-एक लड़की मिल जाएगी। तो यहाँ क्यों शादी करना चाह रहे हो?”

“माताजी मुझे हिंदुस्तान से प्रेम है और मैं हमेशा से अपने लिए अवनि जैसी ही लड़की ढूंढ रहा था। पश्चिम देश में मुझे अपनी जैसी कोई मिली नहीं। पर जब अवनि से मिला और बात हुई तो लगा कि हमारे विचार और उसूल कितने मिलते हैं, और इतना कुछ है जो हमारे बीच सार्थक हो सकता है।”

” पर अभी तो तुम्हे बात करते हुआ हफ्ता-भर ही हुआ है, है न?

“जी हाँ पंद्रह दिन हुए हैं।"

“तो इतनी जल्दी सबकुछ पता लग गया?”

“माताजी भगवान की कृपा होगी या जादू कह लें मुझे पता नहीं।” मिस्टर स्मिथ अवनि की तरफ देखने लगे। वो मुस्कुरा दी। फ़िर  आगे बोले, “और मैं कोई जल्दबाज़ी में कदम नहीं उठाना चाहता। अभी मैं वापस जा रहा हूँ पर हम दोनों संपर्क में रहेंगे। फिर देखते हैं क्या होता है। बस आपका आशीर्वाद चाहिए।”

“तुम्हारी ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी। अभी जल्दी कोई कदम मत उठाना। संपर्क में रहो पर समय दो, एक-दूसरे को भी और फ़ैसले  को भी। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।”

फिर माताजी एक-टक मिस्टर स्मिथ को देखने लगी, कुछ रुकी, फिर ऊँगली उठाके कहती है।”ये लड़का बहुत सज्जन व्यक्ति है। मेरी बेटी को खुश रखेगा ऐसा मुझे लगता है इसकी बातों से और क्यूँकि मेरी बेटी किसी को जल्दी स्वीकारती नहीं है, ख़ासकर विवाह के बंधन में बंधने के लिए। भगवान चाहेंगे तो ये दोनों साथ होंगे। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। तुम्हारे विदेशी होने न होने से मुझे कुछ फ़रक  नहीं पड़ता। तुम इतनी अच्छी हिंदी बोल लेते हो, भारत को प्रेम करते हो, यहाँ के रीति -रिवाज़ों को समझते हो। तुम वैसे ही आधे भारतीय हो।”

अवनि और मिस्टर स्मिथ एक साल तक फ़ोन से संपर्क में रहे और, ठीक ग्यारह महीने बाद मिस्टर स्मिथ ने अवनि को प्रोपोज़ किया। दोनों की इंगेजमेंट हुई और आज छह महीने बाद दोनों की शादी है। मैं, माला और बच्चे, उन्हीं की शादी में उपस्थित होने रवाना हो रहे हैं। 

 

***

क्रिसमस की शाम थी। हमने पार्टी में लोग आमंत्रित किये थे। डाइनिंग हॉल में सारी व्यवस्था तैयार थी। कह सकते हैं छप्पन भोज बने थे। एक वृद्ध इंग्लिश महिला ऑन्ट मैरी हमारे पड़ोस के घर में रहती थी। हर साल की तरह इस बार भी वो हमारी पार्टी में अपना विशेष केक लेके आने वाली थी। हर बार की तरह इस बार भी मैं उसे चखने के लिए लालायित था; पेट में चूहे दौड़ रहे थे।

क्रिसमस के समय हमारा रिसोर्ट पूरा भरा रहता है। सारे कॉटेज बुक हो जाते हैं। मैं दिन भर काम में व्यस्त घर से बाहर था। जब वापस लौटा तो मुझे मेरी पत्नी माला ने बताया की सारे मेहमान आ गए हैं और उनमे से एक अंग्रेजी मेहमान भी हैं, मिस्टर स्मिथ, जो की काफी अच्छी हिंदी बोल लेते हैं।

शाम को डाइनिंग हॉल में जब व्यवस्था देखने गया तो मैंने देखा कि वहाँ मिस्टर स्मिथ भी बैठे-बैठे अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रहे थे। मिस्टर स्मिथ को पहली बार देखते ही लगा कि ये आदमी कितना स्मार्ट, जवान और सुन्दर है। साफ-सुथरी दाढ़ी और उनके चमकीले सुनहरे बाल धुआँकश से आते प्रकाश से और चमक रहे थे।

हमारे बीच मिलते ही ‘हाई सर! हाउ आर यू’ का मुस्कुराते हुए आदान-प्रदान हुआ।

मैंने पूछा, “सर आपको कुछ चाहिए?”

“नहीं जी। आई एम फाइन “, उनका जवाब आया।

फिर मैंने कहा,”मेरी पत्नी माला ने मुझे बताया है कि आप बहुत अच्छी हिंदी बोल लेते हैं।”

“जी। मैं हार्वर्ड विश्वविद्यालय में हिंदी का ही प्राध्यापक हूँ।”

मैंने विस्मय जताया। “अच्छा !” मुझे यह सुनके बहुत अच्छा लग रहा था कि एक अंग्रेज़ अच्छी हिंदी जानता है।

मिस्टर स्मिथ फिर बोले, “जी मूलतः मैं ऑस्ट्रेलिया से हूँ और पिछले पच्चीस सालों से अमेरिका में पढ़ा रहा हूँ।”

“पच्चीस साल से पढ़ा रहे हैं…माफ़ करियेगा पर आप मुझे तीस -पैंतीस साल से ज़्यादा के नहीं लगे। अगर आप बुरा न माने, अभी कितनी उम्र होगी आपकी ?”

” जी मैं बावन साल का हूँ।”

“तब तो हमारे बॉलीवुड अभिनेता भी फेल हैं आपके सामने।”

मिस्टर स्मिथ मुस्कुरा दिए।

मैंने पूछा ,“तो आपका हिंदी भाषा से परिचय कैसे हुआ?”

“जी बचपन में मैं अपने परिवार के साथ हिंदुस्तान आया था। मैंने जब लोगों को हिंदी बोलते हुए सुना तो  मुझे इस भाषा में एक विशिष्ट मिठास प्रतीत हुई। ऑस्ट्रेलिया में भी मेरे हिंदुस्तानी दोस्त थे। उनके प्रभाव का भी असर पड़ा होगा और मैं थोड़ा-थोड़ा हिंदी सीखने लगा। फिर आगे कॉलेज की पढाई भी हिंदी की ही करी और हिंदी का प्राध्यापक बन गया।“

“यह तो काफी प्रेरणाजनक है”, मैंने कहा।

उस समय उनसे ज़्यादा बात नहीं हुई क्यूँकि मेहमानों के आने का समय हो रहा था, तो मैंने उन्हें उनके काम पर छोड़कर विदा लिया। मुझे यह जाँचना था कि कर्मचारियों ने सारा बंदोबस्त सही ढंग से किया हुआ है या नहीं।

सारे मेहमानों का आगमन हुआ। क्रिसमस की शाम थी, धूम-धाम की शाम थी। पीछे स्पीकर में गाने बज रहे थे और लोग एक-दूसरे से घुल-मिल रहे थे।

माला अपनी सहेलियों से बात कर रही थी और मेरे बच्चे अन्य बच्चों के साथ मस्त थे। मैं लोगों से बात करते-करते सारा बंदोबस्त भी संभाल रहा था। फिर मैं कोने में खड़े होकर सिगरेट पीने लगा। खिड़की से अंदर झाँका तो देखा डिनर शुरू हो गया है। मैंने जल्दी सिगरेट ख़त्म की और अंदर को गया, क्योंकि मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। कर्मचारी खाने के बुफे के सामने तैनात थे। जो-जो चीज़ ख़त्म होती जाती मैं उन्हें आदेश देता कि लेकर आएं।

टेबल पर कुछ हमारे रिसोर्ट के मेहमान थे और कुछ हमारे पड़ोसी। मैं काम में व्यस्त था पर उधर से विनोद जी ने मुझे आवाज़ दी। “अरे कबीर हमारे साथ बैठो यार।“

उस टेबल पर मैं, माला, हमारे कुछ पडोसी और कुछ मेहमान विराजमान थे। कोई अलग -थलग नहीं बैठा हुआ था। सब एक-दूसरे के साथ रम गए थे। उनमें मिस्टर स्मिथ और कुछ अन्य विदेशी मित्र भी शामिल थे। आंट मैरी भी थीं जो अपना बनाया विशेष केक लाईं थीं जिसका स्वाद लेने का अवसर हमें डिनर के बाद मिलना था। मिस्टर और मिसेज़ जैक्सन थे जो हाल ही में अमेरिका से अल्मोड़ा शिफ़्त  हुए थे और यहाँ बेकरी चलाते हैं। आनंद जी, आयुष जी और अन्य लोग भी शामिल थे।

डिनर पे चर्चा चलने लगी। आनंद जी एक किसान हैं। कॉर्पोरेट की सीढ़ियां में चढ़कर थक कर वह लंदन से इंडिया आ गए और पहाड़ों में बस गए। वह बता रहे थे कि कैसे उन्होंने एक जापानी तकनीक के माध्यम से हाल ही में एक हज़ार नए पौंधे उगाये हैं।

आयुष जी जो एक कलाकार, एक्टर और एक लेखक हैं, वह अपनी हाल में ही शूट हुई फ़िल्म के किसी किरदार की व्याख्या कर रहे थे। मिस्टर स्मिथ मेरे बगल में ही बैठे थे और उनको देख मुझे प्रतीत हो रहा था कि वह सबकी बातें गौर से सुन रहे हैं।

मैंने उनसे अकस्मात् ही पूछ लिया,”मिस्टर स्मिथ तो आपका परिवार कहाँ है ? वहीं अमेरिका में ?”

“नहीं जी। मेरा परिवार ऑस्ट्रेलिया में रहता है।”

“तो आप मिलने जाते रहते होंगे?”

“जी। कभी -कभी। मेरे उनसे ज्यादा अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं।”

इस जानकारी पर कुछ उच्छ्वास दिखा कर मैंने पूछा, "और आपकी पत्नी ?”

“जी मेरी शादी नहीं हुई।“

“आपने शादी नहीं करी? कुछ खास वजह ?” मैं थोड़ा हैरान था। 

“पूरी जिंदगी काम में ही व्यस्त रहा। समय ही नहीं मिला।”

“ये तो कोई कारण नहीं हुआ। सच बताइये।”

मिस्टर स्मिथ हँस दिए। मिस्टर स्मिथ आगे बोले, “मैं अभी बावन साल का हो गया हूँ, पर सही कह रहे हैं यह कोई बात न हुई शादी न करने की , है ना? दरअसल मैं पूरी ज़िंदगी  शादी को एक ज़ंजीर  मानता रहा, एक ऐसा बंधन जो आपकी आज़ादी छीन लेता है। पर अब मुझे लगता है कि काश मैंने शादी कर ली होती। मैं किसी से, कहीं पर जुड़ना चाहता हूँ। आज मैं बिलकुल अकेला हूँ। मैं सफल हूँ, लेकिन मेरे साथ मेरा कोई नहीं है। मेरा घर बिलकुल वीरान है। मैं ऐसे ही भटकते नहीं रहना चाहता। पर अब मेरी उम्र निकल गयी है। अब मुझसे कोई शादी नहीं करेगा।”

उनकी ये बातें सुनके मुझे उनकी मदद करने की एक तीव्र इच्छा हुई। मैंने कहा,”ऐसा नहीं है। अगर आप चाहें तो आपकी शादी अभी भी हो सकती है।”

“मैं भी वैसे तो एक हिंदुस्तानी लड़की ढूंढना चाह रहा हूँ। पर एक तो मेरी उम्र ज्यादा है, ऊपर से कौन लड़की मेरे साथ अमेरिका चलने को राज़ी होगी।”

मैं मिस्टर स्मिथ को यूँ हताश नहीं देख पा रहा था। वो मैं बोल रहा था या मेरी विस्की, मैंने उन्हें कह दिया, “मिस्टर स्मिथ आप चिंता न करें, आपके लिए एक उपयुक्त दुल्हन मैं ढूंढूंगा।“

मिस्टर स्मिथ हँस दिए। “चलिए देखते हैं पहले हम खाना खत्म कर लें ? बहुत स्वादिष्ट दिखता है।”

“जी बिलकुल। उसके बाद केक भी है आपके लिए। पर आप ये बताइये आप यहाँ कब तक हैं?”

“मैं फ़िलहाल  तो यहाँ हूँ ही। आपके यहाँ मैं  अगले महीने तक रहूँगा। मैं एक किताब लिख रहा हूँ, जिसे मुझे पूरा करना है।”

“चलिए बढ़िया है। साथ-साथ हम आपके लिए लड़की ढूंढें?”

मिस्टर स्मिथ हँसते हुए बोले, “जी ज़रूर । पर कोई मिलेगी नहीं।“

” मिल जाएगी। लड़कियों की कमी नहीं है। हम कल ही अखबार में आपके लिए इश्तेहार छपवाते हैं। कोई-न-कोई लड़की आपकी किस्मत में भी ज़रूर होगी। बस आप देखते जाइये।”

सबने खाना खा लिया था और अब केक काटना बाकी  था। आंट मैरी ने खुद अपने हाथों से केक काटा और सबको दिया। केक हर बार की तरह बहुत स्वादिष्ट था। उसके बाद पार्टी समाप्त हो गयी थी। सारे मेहमान वापस अपने कॉटेज में चले गए और सारे पड़ोसी  अपने घरों को लौटने लगे।

मिस्टर स्मिथ को लगा हो चाहे न लगा हो, मैं उनके लिए लड़की ढूंढने की बात को लेकर गंभीर था। अगले ही दिन मैंने उनके डिटेल्स मांगे और लोकल के अमर उजाला के कार्यालय जाकर उनके नाम का वैवाहिक विज्ञापन छपवा दिया।

“वधू चाहिए। सुन्दर, फिट ऑस्ट्रेलियन अमेरिकी नागरिक, जो की  हार्वर्ड में हिंदी के प्राध्यापक हैं। उम्र बावन वर्ष। एक शिक्षित महिला की तलाश। उम्र की कोई बाधा नहीं।” साथ में फोन नंबर और पता भी था।

जैसा की  मुझे प्रतीत हो ही रहा था, शुरुआत में कोई कॉल नहीं आई। लेकिन दूसरे दिन से उन्हें कॉल आने शुरू हो गए। मिस्टर स्मिथ या तो बगीचे में किसी लड़की से बात करते दिखते या लैपटॉप पे अपनी पुस्तक पे काम करते हुए।

मैंने उनसे पुछा, “क्या लग रहा है, आपको दुल्हन मिलेगी?”

“जी कबीर जी। अब लग रहा है मुमकिन है।”

उन्होंने कुछ ही दिन में कई लड़कियों से बात कर ली थी। मैं उनके साथ फिर अमर उजाला के दफ़्तर  गया और उनके नाम का एक बार और  विज्ञापन छपवाया।

“बस यही डर है कि कोई लड़की एक बुड्ढे से शादी क्यों करेगी और अपना घर छोड़ कर मेरे संग अमेरिका क्यों जाएगी।”

मैंने जवाब में कहा,”लड़की अगर सही होगी तो आदमी परख लेगी। वो उसके साथ इसलिए जाएगी क्योंकि उसके साथ वो खुश रहेगी। आप अभी ये सब चिंता मत करिये। आप बस लोगों से मिलिए और देखिये कि कहीं बात बनती है क्या।”

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नलिन ओम एक महत्वाकांक्षी लेखक और एक युवा कॉर्पोरेट पेशेवर हैं। जब वह जीविकोपार्जन के लिए काम नहीं कर रहे होते हैं, तो वह गहरी आध्यात्मिकता का अभ्यास करने का प्रयास करते हैं, या साहित्यिक भोग में संलग्न रहते हैं।

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